हरिद्वार समाचार- डाॅ0 राजूल एल. देसाई, मा0 सदस्य, नेशनल कमीशन फाॅर वुमेन, नई दिल्ली की अध्यक्षता में आज डाम कोठी, हरिद्वार में महिलाओं के विकास के सम्बन्ध में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और उनसे जुड़े विभिन्न मामलों के सम्बन्ध में एक बैठक आयोजित हुई।
बैठक में डाॅ0 राजूल एल. देसाई, मा0 सदस्य, नेशनल कमीशन फाॅर वुमेन, नई दिल्ली ने अधिकारियों के सम्मुख वन स्टाॅप सेण्टर(सखी सेण्टर), बहादराबाद, हरिद्वार के सम्बन्ध में चर्चा की। उन्होंने कहा कि मैंने बहादराबाद, हरिद्वार स्थित वन स्टाॅप सेण्टर(सखी सेण्टर), का निरीक्षण किया, जिसके दौरान मुझे सेण्टर की व्यवस्थायें सन्तोषजनक नहीं लगीं तथा वहां ट्रेंड स्टाफ नहीं है, फाइलों का उचित रखरखाव नहीं है। उन्होंने वन स्टाॅप सेण्टर(सखी सेण्टर) के बारे में बताते हुये कहा कि इसकी यह अवधारणा है कि सेण्टर में सभी प्रकार की सुविधायें-पुलिस को रिपोर्टिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा, रहने, खाने-पीने की उचित व्यवस्था, जो सभी निःशुल्क हैं, उनकी समुचित व्यवस्था होनी चाहिये तथा कोई भी पीड़िता संकट के समय बेझिझक वन स्टाॅप सेण्टर(सखी सेण्टर) में जा सके।
मा0 सदस्य ने कहा कि सखी सेण्टर की लोकेशन शहर के मध्य में होनी चाहिये तथा विद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं, कामकाजी महिलाओं व अन्य को यह भी जानकारी होनी चाहिये कि इस सेण्टर में सभी सुविधायें निःशुल्क हैं। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में व्यापक प्रचार-प्रसार तथा जन-जागरूकता लाने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों से महीने में एक बार सेण्टर का निरीक्षण, समीक्षा करने तथा सेण्टर की व्यवस्थाओं में क्या-क्या सुधार लाये, के सम्बन्ध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अपेक्षा की।
मुख्य विकास अधिकारी श्री विनीत तोमर ने मा0 सदस्य को बताया कि पहले यह वन स्टाॅप सेण्टर(सखी सेण्टर) सी.सी.आर. में चलता था, जिसे कुम्भ की वजह से बहादराबाद में स्थानान्तरित करना पड़ा तथा वहां स्टाॅफ की व्यवस्था बाह्य सोर्स से होती है। स्टाॅफ स्थानीय ही होना चाहिये, के नियम के तहत, कुशल स्टाॅफ नहीं मिल पाता है। सोशल वर्क में यहां इतनी स्किल नहीं है। वन स्टाॅप सेण्टर(सखी सेण्टर) के लिये भूमि का विवरण भारत सरकार को भेजा गया है। उन्होंने बताया कि बहादराबाद स्थित सेण्टर शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र को भी आच्छादित करता है।
श्री तोमर ने मा0 सदस्य को बताया कि जनपद में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान ब्लाॅक व गांव स्तर तक चलाया जा रहा है, जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगितायें आयोजित की जाती हैं, जिसमें हर उम्र की बच्चियां भाग लेती हैं तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिये हर स्तर पर प्रोत्साहित किया जाता है। गांवों में बच्चियों के हीमोग्लोबिन की जांच की जाती है, बच्चियों को स्कूल आने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा उचित स्थानों में सेनेटरी मशीन भी लगाई जा रही हैं।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, श्री सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस. ने मा0 सदस्य को बताया कि उत्तराखण्ड पुलिस में महिलायें काफी बड़ी संख्या में हैं, जिससे महिलाओं से जुड़े मामलों के निस्तारण में महिला पुलिस का विशेष योगदान है। उन्होेंने कहा कि विभिन्न आयु वर्ग की बच्चियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इस पर मा0 सदस्य ने उत्तराखण्ड पुलिस की सराहना की तथा कहा कि इस माॅडल को अन्य जगह भी अपनाने के लिये मैं चर्चा करूंगी। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वे काॅलेजों में छात्राओं से मुखातिब हों, उन्हें विभिन्न आई.पी.सी. की धाराओं की जानकारी दें, इससे उनकी स्थानीय क्या समस्या है, के सम्बन्ध में जानकारी मिलने के साथ ही पारदर्शिता भी आयेगी।
डाॅ0 राजूल एल. देसाई ने सलाह दी की बच्चियों के साथ काॅफी विथ डी0एम0, काफी विथ एस0एस0पी0, काॅफी विथ सी0डी0ओ0 जैसे कार्यक्रम चलाये जाने चाहिये ताकि बच्चियों को अधिकारियों से मुखातिब होने का अवसर मिले। उन्होंने कहा कि बच्चियों के स्वास्थ, शिक्षा तथा सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के साथ ही हाईजिन पर भी चर्चा होनी चाहिये।
मा0 सदस्य ने बैठक में पंजाब का उदाहरण देते हुये कहा कि वहां ’मेरी बेटी-मेरा अभिमान’ कार्यक्रम के तहत एक वाॅल तैयार की जाती है, जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत बच्चियों की फोटो चित्रित की जाती है, जिससे बच्चियों सहित उनके माता-पिता को भी प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा उन्होंने सी बाॅक्स, वर्क प्लेस कमेटी आदि का भी जिक्र किया।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री भारती तिवारी, श्री धर्मवीर सिंह, सी0डी0पी0ओ0 सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे