हरिद्वार, 11 सितम्बर। जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने पर हरिद्वार के संत समाज ने गहरा शोक व्यक्त किया है। द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के अचानक ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत और त्याग और तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके निधन से सनातन धर्म को अपूर्णीय क्षति हुई है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महाण्डेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज व आनन्द पीठाघीश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी रूपरूपानंद सरस्वती महाराज ने अतुलनीय योगदान दिया। उनके विचार और शिक्षाएं सदैव समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत महाराज, निर्मल अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती धर्म संस्कृति के प्रखर विद्वान थे। संत समाज का नेतृत्व करते हुए उन्होंने समाज को नई दिशा प्रदान की। स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि वयोवृद्ध अवस्था में भी समाज का मार्गदर्शन करने वाले ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज युगपुरूष थे। उनके निधन से संत जगत को जो क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जाएगा। स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी कपिलमुनि, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी ऋषिश्वरानंद, स्वामी राजेंद्रानंद, महंत रघुवीर दास, महंत रविदेव शास्त्री, महंत हरिहरानंद, महंत सूरजदास, महंत बिहारी शरण, महंत दामोदर दास, महंत प्रेमदास, महंत दामोदर शरण दास, कोठारी महंत जसविंदर सिंह, महंत जयेंद्र मुनि, महंत अमनदीप सिंह, स्वामी सत्यव्रतानंद, बाबा हठयोगी सहित हरिद्वार के समस्त संत जगत ने जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।