हरिद्वार समाचार-श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा कि संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है और संतों के जप तप व भारतीय संस्कृति का विश्व में विशिष्ट स्थान है। श्रवणनाथ नगर स्थित रामशंकर आश्रम में आयोजित महंत प्रकाश मुनि महाराज के कृपा पात्र शिष्य महंत श्रवण मुनि महाराज के पट्टाभिषेक समारोह के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रघुमुनि महाराज ने कहा कि योग्य शुरू को ही सुयोग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। महंत प्रकाश मुनि ने जीवन पर्यन्त समाज का मार्गदर्शन कर भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया। आशा है कि उनके कृपापात्र शिष्य महंत श्रवण मुनि अपने गुरू के बताए मार्ग का अनुसरण कर राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान करेंगे। कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। सनातन धर्म को आगे बढ़ाने का भार अब युवा संतों पर है। महंत प्रकाश मुनि के युवा शिष्य महंत श्रवण मुनि अपने गुरू द्वारा गंगा तट से प्रारम्भ किए गए सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाने में निरंतर प्रयासरत रहेंगे। महंत दामोदरदास व महंत निर्मलदास महाराज ने कहा कि संत सदैव ही अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जब जब देश पर कोई भी विपत्ति आयी है तो संतों ने हमेशा ही आगे बढ़कर हरसंभव मदद करते हुए समाज सेवा की अग्रणी भूमिका निभायी है। महंत श्रवण मुनि महाराज एक युवा संत हैं जो अपने गुरू के पदचिन्हों पर चलते हुए निरंतर संत समाज की सेवा करते रहेंगे। मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि कोरोना के चलते किए गए लाॅकडाउन में संतों ने सेवा क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाते हुए पूरे देश को मानवता का संदेश दिया। संतों के आशीर्वाद से कुंभ मेला सकुशल संपन्न होगा। अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह ने नवनियुक्त महंत श्रवण मुनि महाराज को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। महंत श्रवण मुनि महाराज ने संत समाज का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गयी है। पूज्य गुरूदेव महंत प्रकाश मुनि महाराज के आशीर्वाद तथा कृपा व समस्त संत समाज के सहयोग से उसका निष्ठापूर्वक निर्वहन करते हुए सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के उत्थान व संवर्द्धन में सहयोग करेंगे। इस अवसर पर म.म.स्वामी भास्करानन्द, महंत जयेंद्र मुनि, स्वामी वेदानन्द, स्वामी दिव्यानन्द, स्वामी हरिचेतनानन्द, महंत दुर्गादास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानन्द, महंत दिनेश दास, महंत प्रेमदास, महंत रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी बलराम मुनि, महंत निर्मलदास, महंत दामोदरशरण दास, महंत श्याम प्रकाश, महंत गंगादास उदासीन, महंत अरूणदास, महंत सूरजदास, स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री, महंत जसविन्दर सिंह, महंत अमनदीप सिंह आदि सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष उपस्थित रहे।