हरिद्वार-ऋषि सचदेवा द्वारा स्वरचित काव्य संग्रह ’’अभिव्यक्ति’’ का विमोचन समारोह एम्ब्रोसिया सरोवर पोर्टिको में स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, अध्यक्ष परमार्थ निकेतन, ऋषिकेष, (वर्चुअल) व रविदेव शास्त्री, राष्ट्रीय महामंत्री, युवा भारत साधु समाज, के मांगलिक सानिध्य में हुआ।
संचालन करते हुए मयंक शर्मा भजोराम ने कहा कि कवि ऋषि सचदेवा की इन कविताओं में उनकी जिज्ञासा की एक प्रबल भावना भी मिलती है। कविताओं में कवि कुछ तलाशना चाहते है। ये ऐसी भावपूर्ण कविताएँ हैं, जो आपको छू लेंगी और आप कवि की भावनाओं से खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। जब कोई कवि अपनी अनुभूति को इस तरह की अभिव्यक्ति दे सके कि कवि की अनुभूति हमारी ही बन जाए, तो वह अभिव्यक्ति सफल कही जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मदन कौशिक, विधायक हरिद्वार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा ने कहा की भावनाओं की गंगा में डूबते-उतरते व्यक्तित्व ही काव्य रचना कर सकते हैं। एक उद्योगपति कवि हृदय भी हो सकता है यह थोडा कठिन लगता है पर, अपने कर्मक्षेत्र के इस युवा रचनाकार का हृदय से अभिनन्दन करता हूँ और यह कविता संग्रह ‘‘अभिव्यक्ति’’ आपको सौंपता हूँ।
मुख्य अतिथि सुबोध उनियाल, वन व तकनीकी शिक्षा मंत्री, उत्तराखण्ड ने कहा कि यह कवि की पहली कृति है जिसमे इन्होंने विविध विषयों पर, विभिन्न परिस्थितियों एवं परिवेश में लिखी अपनी कविताओं का संकलन किया है। कुछ कविताओं में जीवन के विभिन्न पहलुओं का बहुत ही सुंदरता एवं मार्मिक स्पर्श के साथ वर्णन किया गया है।
मुख्य अतिथि के रूप में योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘‘अरूण’’, सदस्य, साहित्य अकादमी ने कहा कि इस काव्य संग्रह की भूमिका मैंने लिखी हैं अतः कई ऐसी कविताएँ मैंने इस संग्रह में देखी है, पढ़ी हैं, जिनमें आज के परिवेष की नंगी सच्चाई इस युवा कवि ने शब्दों में सजीव कर दी हैं। जीवन के अस्सी ग्रीष्म तप चुका हूँ और इतनी ही बरसातों में भीग चुका है मेरा मन, इसीलिए आज अपने अनुभव से इतना तो कह ही सकता हूँ कि कवि ऋषि में संभावनाओं का हिलामलय मैंने देखा है। कविता निःशब्द में कवि ऋषि ने बहुत बड़ी बात कही है,
‘‘निष्कंटन नहीं है राह मेरी पर जग में हर कोई ऐसा,
मैं अकेला तो नहीं, जिया पर क्यों निरर्थक जिया?
आज क्यों न पश्चताप करूँ?’’ उन्होंने कहा कि यदि आप ‘‘अभिव्यक्ति की निम्न पंक्तियाँ गौर से देखेंगे तो आपको इन में कवि के जिज्ञासु मन की छटपटाहट दिखाई देगी।
‘मौन है अभिव्यक्ति मेरी, स्वयं को खोज रही मिल जाऊँ मैं खुद ही को अब शेष यही एक आस है।
मौन भाषा को समझ लो, शेष यही विष्वास है।।
‘स्वयं’ की खोज करना कोई साधारण बात तो नहीं है? कोई बिरला ही खुद को खोजने निकलता रह है और फिर उसी ने सारी मानवता को राह दिखाई है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सचानंद लदानी, चेयरमैन, SLMG, बेवरेज (कोका कोला) ने कहा कि ऋषि सचदेवा ने जो कुछ सुना देखा महसूस किया उन सबका मिश्रण कर जो लिखा वही है उनकी ‘अभिव्यक्ति’।
इस अवसर पर अनिता मंमगई, मेयर ऋषिकेश ने कहा कि कविता लेखन माँ शारदा का स्नेह प्राप्त व्यक्ति ही लिख पाता है। यह विद्या माँ शारदे बिरले को ही देती है।
ऋषि सचदेवा ने अपने उदबोधन में कहा कि ये मेरे साहस का, मेरी लड़ाई का, मेरे सफ़र का प्रतिबिंब है, ये वो दर्पण है जिसमें मैं खुद को देखता हूँ। मेरा सफ़र जो मैंने जिया। झूठा-सच्चा जो मैंने महसूस किया वो शब्दों में ढाला। ये आपकी पसन्द न पसन्द का नहीं मेरे अतीत, मेरे वर्तमान और मेरे सपनों की कहानी है, कविता है, जो अगर कहीं आपको भी अपनी-सी लगे तो बताइएगा जरूर! ये पन्ने अब खुल ही गए हैं तो ये अब जितने मेरे हैं, उतने ही आपके भी।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आदेश चौहान विधायक, रानीपुर, प्रदीप बत्रा विधायक रूड़की, अनीता मंमगाईं, मेयर नगर निगम, ऋषिकेष, राजीव शर्मा अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद, हरिद्वार तथा प्रदेश के गणमान्य व्यक्तित्व इस अवसर पर उपस्थित थे जिनमें पूरषोत्तम शर्मा गांधीवादी, पूर्व अध्यक्ष गंगा सभा हरिद्वार, ज्वाला प्रसाद शांडिल्य वरिष्ठ साहित्यकार, रमेश रमन, कवि गीतकार, वरिष्ठ कवि गोपाल नारसन, अनुपम जग्गा प्रधानाचार्य, डी.पी.एस. सुनिल बत्रा, प्रधानाचार्य एस.एम. जैन डिग्री कॉलेज, दीपक शर्मा, चांसलर, मदरहुड युनिवर्सिटी, वैभव शर्मा, डायरेक्टर, रामानंद इंस्टीट्यूट, आरती नैय्यर, मीनाक्षी शर्मा, अंजना चड्डा, सदस्य उपभोक्ता फोरम, अन्नू कक्कड़, मौनिका सैनी सभासद, ललित नैय्यर, विकास तिवारी जिला महामंत्री, भाजपा, राजेश शर्मा सभासद, सचिन बेनिवाल, सिद्धान्त सचदेवा, इषान भाटिया, अंकुष रोहिला, पार्थ गुलाटी, सचिन अरोड़ा, प्रसून अरोड़ा, मयंक गुप्ता, मण्डल अध्यक्ष कनखल आदि उपस्थित थे।