हरिद्वार– मकर संक्रांति के पावन पर्व पर कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में अखंड पाठ का आयोजन किया गया और शबद कीर्तन कर कोरोना महामारी की समाप्ति हेतु अरदास की गई। इस अवसर पर श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है। आज ही के दिन मां गंगा भागीरथ के पीछे पीछे चल कर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। जो श्रद्धालु भक्त श्रद्धा पूर्वक पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाकर गरीब असहाय लोगों को दान पुण्य करते हैं। उन्हें सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति का पर्व जीवन में खुशियां व समृद्धि लाता है। मकर संक्रांति के माध्यम से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की झलक विविध रूपों में दिखती है। कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति पर्व पर दिया गया दान मोक्ष प्रदान करता है। मकर संक्रांति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्य उदय होता है और धरती पर खुशहाली आती है। धार्मिक दृष्टि से मकर संक्रांति का पर्व विशेष महत्व रखता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। मकर संक्रांति के दिन दिए गए दान से सूर्य देवता भी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। महंत रंजय सिंह एवं महंत अमनदीप सिंह महाराज ने कहा कि भारत में पर्वों का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म में पर्व अनेकता में एकता को दर्शाते हैं। मकर संक्रांति सभी के जीवन में खुशियां लाती है और देशवासियों को उन्नत जीवन प्राप्त होता है। हम सभी को मिलजुल कर मकर संक्रांति ही नहीं अपितु हर दिन हर पल दान पुण्य की भावना को अपने अंदर जागृत करना चाहिए और प्रत्येक गरीब असहाय और निर्बल व्यक्ति की सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए, तभी एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। इस अवसर पर महंत निर्भय सिंह, महंत रंजय सिंह, महंत गुरप्रीत सिंह, महंत मलकियत सिंह, संत रवि सिंह, संत हरजोध सिंह, ज्ञानी महंत खेम सिंह संत गुरजीत सिंह, संत सिमरन सिंह, संत सुखमण सिंह, संत वीर सिंह, संत जसकरण सिंह, संत नागेश्वर सिंह, समाज सेवी विनिन्दर कौर सौढ़ी, अतुल शर्मा, देवेंद्र सोढ़ी, नागेश्वर पाण्डे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।