उत्तराखंड जजेस एसोसिएशन का वार्षिक सम्मेलन, दून विश्वविद्यालय सभागार, देहरादून में दिनांक 23.02.2025 रविवार को सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है, जिसमें समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर मा० सर्वोच्च न्यायालय, नई दिल्ली के न्यायाधीश, मा० न्यायमूर्ति श्री सुधांशू धूलिया जी उपस्थित रहे। जिन्होंने उत्तराखंड जजेज एसोसिएशन को शुभकामनाएं देते हुए अपने सम्बोधन में उत्तराखण्ड राज्य के समस्त न्यायिक अधिकारियों को कहा कि न्यायपालिका के सामने वादकारी एक उम्मीद से आते हैं तथा पीठासीन न्यायाधीशों का यह दायित्व है कि विवादित मामले का निस्तारण शीघ्रता पूर्वक करें, उन्होंने विभिन्न न्यायालयों में विचाराधीन वादों में लम्बी तिथियाँ दिये जाने के दृष्टिकोण को भी बदलने के लिए न्यायाधीशों से आह्वान किया है। यह भी कहा कि बदलती हुई वर्तमान परिस्थितियों में परंपरागत न्याय प्रक्रिया के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है। उन्होने इस पर भी जोर दिया कि दोषसिद्धि एवं दण्ड अलग.अलग हैं भले ही दोष सिद्ध हो जाए, लेकिन दण्ड देते समय मामले की समग्रता को ध्यान में रखना भी आवश्यक है। न्यायाधीशों के निर्णय लेने की प्रक्रिया अपने आप में कठिन है। उन्होने इस बात पर भी बल दिया कि न्यायाधीशों को केवल विधिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं, बल्कि समाज के सभी पहलुओं को जानने के लिए अन्य विषयों का भी अध्ययन उसी प्रकार से करना चाहिए, जिस प्रकार से वह विधि का ज्ञान अर्जित करते हैं। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि द्वारा इजराइल के उच्चतम न्यायालय के पूर्व अध्यक्ष एवं विधिवेत्ता श्री अहरोन बराक का जिक्र करते हुए कहा कि न्यायाधीशों का विचारण हर वाद में होता है इसलिए न्यायाधीशों को अपना न्यायिक दृष्टिकोण विस्तृत रखना
कार्यक्रम के अवसर पर उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय, नैनीताल की महानिबंधक, श्रीमती कहकशां खान, प्रमुख सचिव न्याय श्री प्रदीप पन्त, प्रमुख सचिव विधायी श्री धनन्जय चतुर्वेदी, श्री अमित कुमार सिरोही, विधिक सलाहकार मा० राज्यपाल उत्तराखण्ड सहित राज्य के सभी जनपदों के जिला जज तथा न्यायिक अधिकारीगण कार्यक्रम में उपस्थित रहे हैं।