हरिद्वार, 13 जुलाई। अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रावण चातुर मास का पहला और सबसे शुभ, पवित्र, श्रेष्ठ एवं विशिष्ट महीना है। श्रावण माह में भगवान शिव के निमित्त व्रत, जलाभिषेक से महादेव शिव और माता शक्ति की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रावण माह भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव संहारक, सृजनकर्ता और नव निर्माणकर्ता’ हंै। शिव कल्याणकारी, सर्वसिद्धिदायक, कल्याणस्वरूप और कल्याण के देवता है। हमेशा योगमुद्रा में विराजमान रहने वाले शिव योगस्थ, जीवंत और जागृत रहने की शिक्षा देते है। निरंजनी अखाड़ा स्थित चरण पादुका मंदिर में विशेष शिव अनुष्ठान के दौरान श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल विष के विनाशकारी प्रभावों से संसार को बचाने के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव को दूर करने के लिए सभी देवताओं ने मां गंगा का पवित्र जल उनके मस्तक पर डाला ताकि उनका शरीर शीतल रहे तथा विष की उष्णता कम हो जाये। इसीलिए श्रावण में शिवजी को गंगा जल अर्पित कर शिवाभिषेक किया जाता है। श्रावण मास में होने वाली कांवड यात्रा इसी का प्रतीक है।